बहुत अच्छा लेख लिखा है, और बात बिलकुल ठीक है की भावावेश में आ कर जन सामान्य ने ऐसी मांग रख दी है जिसको पूरा करने से पहले सरकार को बहुत बार विचार करना होगा | और जो दूसरी बात आपने सामने लाई है वो है पैसे की | क्रिकेट में कितना धन आ रहा है, कितने लोग निवेश कर रहे हैं, या कितना अपव्यय हो रहा है, भारत सरकार का इसमें निवेश किया पैसा दुसरे निवेशकों से बहुत कम होगा, जिस में की मेरा यह मानना है कि पूंजीपति निवेशकों कों अपना धन कहाँ लगाना है, यह हमसे बेहतर वे जानते हैं | बात रही दुसरे खेलों की, उन पर ध्यान देना अनिवार्य है| अई पी एल लीग के शुरू होने से बहुत बड़ा ह्रास नहीं हुआ है, छोटे खिलाडियों कों उभर कर आने का मौका मिला है, कितने ही नाम आपने लीग के पहले सुने होंगे? सिर्फ इतना ही नहीं, कितने ही छकाते रोज़गार इस कारन वश फल फूल रहे हैं | बात सोचने योग्य है कि क्रिकेट बहुत ज्यादा हो रहा है, परन्तु देखना या न देखना तो दर्शक के हाथ में है | जो क्रिकेट नहीं देखते, वे भी अपने लिए नए चल चित्र ले कर किसी और पूंजीपति कों नयी फैक्ट्री स्थापित करने का और रोज़गार बधाने का मौका दें | The last para is a casual remark, not to be taken as an offense.
धन्यवाद, आपने बहुत अच्छी टिपण्णी की. यह बात तो अब जग जाहिर हो गयी है की क्रिकेट हमारे आम जीवन में समां गया है, लेकिन सचिन को भारत रत्ना देना, एक बहुत ही अलग बात है. भावावेश में आ केर ऐसे निर्णय नहीं लेने चाहिए. :)
बहुत अच्छा लेख लिखा है, और बात बिलकुल ठीक है की भावावेश में आ कर जन सामान्य ने ऐसी मांग रख दी है जिसको पूरा करने से पहले सरकार को बहुत बार विचार करना होगा |
ReplyDeleteऔर जो दूसरी बात आपने सामने लाई है वो है पैसे की | क्रिकेट में कितना धन आ रहा है, कितने लोग निवेश कर रहे हैं, या कितना अपव्यय हो रहा है, भारत सरकार का इसमें निवेश किया पैसा दुसरे निवेशकों से बहुत कम होगा, जिस में की मेरा यह मानना है कि पूंजीपति निवेशकों कों अपना धन कहाँ लगाना है, यह हमसे बेहतर वे जानते हैं |
बात रही दुसरे खेलों की, उन पर ध्यान देना अनिवार्य है|
अई पी एल लीग के शुरू होने से बहुत बड़ा ह्रास नहीं हुआ है, छोटे खिलाडियों कों उभर कर आने का मौका मिला है, कितने ही नाम आपने लीग के पहले सुने होंगे? सिर्फ इतना ही नहीं, कितने ही छकाते रोज़गार इस कारन वश फल फूल रहे हैं |
बात सोचने योग्य है कि क्रिकेट बहुत ज्यादा हो रहा है, परन्तु देखना या न देखना तो दर्शक के हाथ में है | जो क्रिकेट नहीं देखते, वे भी अपने लिए नए चल चित्र ले कर किसी और पूंजीपति कों नयी फैक्ट्री स्थापित करने का और रोज़गार बधाने का मौका दें |
The last para is a casual remark, not to be taken as an offense.
Congratulations.
Cheers,
Blasphemous Aesthete
नमस्कार अंशुल,
ReplyDeleteधन्यवाद, आपने बहुत अच्छी टिपण्णी की. यह बात तो अब जग जाहिर हो गयी है की क्रिकेट हमारे आम जीवन में समां गया है, लेकिन सचिन को भारत रत्ना देना, एक बहुत ही अलग बात है. भावावेश में आ केर ऐसे निर्णय नहीं लेने चाहिए.
:)
This was a good read for me..reading Hindi script after many years...:)..and i agree with ur point..
ReplyDeletehii mOhan!
ReplyDeletethanks a lot!!
:D
hii Sankoobaba
ReplyDeletethanks a ton!!
:)
vadiya hai,,
ReplyDeletehii UA
ReplyDeletethanks!
btw where r u??